Month: March 2010
रूप का प्रभाव
सीता को रिझाने के लिये रावण के सारे प्रयास असफल होने पर मंत्रियों ने सलाह दी – आपको तो बहुरूपणी विद्या आती है, आप राम
निगोदिया की आयु
स्वांस का 1/18 भाग ( जिसमें निगोदिया एक बार जीता और एक बार मरता है ) आज के 1 सेकेंड़ के 1/24 वें भाग के
निवृत्ति/प्रवृत्ति
छोड़ना (निवृत्तिआत्मक) आसान है, करना (प्रवृत्तिआत्मक) कठिन है ।
धर्म
सच्चे उपाय (धर्म) के बिना दुःख कम भी नहीं होते हैं और सहे भी नहीं जाते हैं ।
प्रायश्चित
आचार्य शांतिसागर जी महाराज को आहार देते समय अम्मा जी से कोई त्रुटि हो गई। प्रायश्चित पूछ्ने पर पंड़ित जी ने बताया तो उन्होंने किसी दुसरे
अघातिया कर्म
अघातिया कर्मों से बाह्य सामाग्री की प्राप्ति होती है । कर्म जड़ हैं, बलहीन हैं तो बाह्य सामाग्री इनसे कैसे मिलती है ? कर्मोदय तो
दुःख
एक आदमी बस में गंदी सीट पर बैठा और पीठ में दर्द कर लिया । घर आने पर उसको पूछा – आपने अपनी सीट किसी
उदय/सत्ता/उदीरणा
आचार्य श्री विद्यासागर जी के अनुसार – आठों कर्मों का दसवें गुणस्थान तक उदय, सत्ता और उदीरणा चलती रहती है । यह नियम है, अन्यथा
परिचय
हम शरीर के निकट तो हैं पर उससे हमारा परिचय नहीं है । हमारा व्यक्तित्व पेट और पेटी बनकर रह गया है, उसी को हमने
सुक्ष्म जीव
सुक्ष्म जीव सांस लेने में कौन से जीवों को ग्रहण करते होंगे ? बादर वायुकायिक या वायु को सांस में ग्रहण करते हैं । 12 वें
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