Month: April 2010
वैभव
माँ काम करते समय बच्चे को दूर रखने के लिये खिलौना दे देती है, वह मग्न हो जाता है । वैभव भी खिलौना है, जिसे
ज्ञानावरणी कर्म काटने का उपाय
– जितना बांटो, उतना कटे । – कोई पूछे तो करूणापूर्वक जरूर बताओ ।
अभव्य/दूरान्दूर भव्य
अभव्य में केवलज्ञान प्रकट होने की शक्ति नहीं होती, हालाँकि अंदर शक्ति है । दूरान्दूर भव्य में केवलज्ञान प्रकट होने की शक्ति है पर
Satisfaction
जीवन में सफल होने के लिये 3 Factory जरूरी हैं । Brain में Ice Factory ज़ुबान में Sugar Factory Heart में Love Factory तब होगी
Care/Anger
Care should be in heart, not in words; Anger should be in words, not in heart. (Mr. Sanjay)
लोकांतिक देव
जन्म, जरा और मरण से व्याप्त संसार लोक है । जिनका यह संसार समाप्त हो गया हो । ब्रह्म लोक को लोक माना है,
जाप/पूजा
जाप, पूजा आदि बैठकर या ख़ड़े होकर करने के लिये क्यों कहा है ? बैठने से 90 Degree का Angle बनता है, लेटने से “0”
मतिज्ञान
अकेला मतिज्ञान भी रह सकता है । ( सम्यग्द्रष्टि जीव अंग बाह्य या अंग प्रविष्ट ज्ञान के बिना भी रह सकता है ) पं. रतनलाल
ईर्ष्या
दीप से दीप जलता है, तो उजाला होता है । आदमी से आदमी जलता है, तो अंधियारा होता है । ( श्रीमति निधि – ग्वालियर)
वनस्पति – काय/कायिक/जीव
Original अवस्था के पॄथ्वी, जल और अग्नि को “पॄथ्वी”, “जल” और ” अग्नि” कहा जाता है । लेकिन उसी तरह बीज को “वनस्पति” नहीं कह
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