Day: April 7, 2010

गुरू

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूँ पांव ? बलिहारी गुरू आपकी, गोविन्द दियो बताय । आचार्य श्री – सच्चे गुरू  गोविंद बताते नहीं है, आपको

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आत्मा का वैभव

रूप के मान में आत्मा के वैभव का सम्मान नहीं किया क्योंकि यह वैभव दिखता नहीं है ।

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मंगल आशीष

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April 7, 2010