Day: April 22, 2010

सुख

अति ( Excess ) के बिना इति ( Goal ) से साक्षात्कार करना संभव नहीं, पीड़ा की अति ही, पीड़ा की इति/End है, पीड़ा की

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काय

प्रदेशों के समूह को काय कहते हैं । तत्वार्थ सुत्र टीका – पं. श्री कैलाशचंद्र जी

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मंगल आशीष

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April 22, 2010