Day: April 24, 2010

श्रोता

गप्पी दो घर बिगाड़ता है, श्रोता दो घर बनाता है ।  श्रोता अपना धर्म श्रवण कर उद्धार करता है और वक्ता को साता देता है

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शरीर

शरीर एक प्रदेशी नहीं होता, क्योंकि जघन्य से अंगुल के असंख्यात प्रमाण होता है । तत्वार्थ सुत्र टीका – पं. श्री कैलाशचंद्र जी

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मंगल आशीष

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April 24, 2010