Month: April 2010
सम्बंध/अनुबंध
भगवान, गुरु, धर्मावलंबियों से Relations – सम्बंध कहलाते हैं । संसारी लोगों से Relations – अनुबंध/करार ( Agreement ), मतलब के ,फ़ायदे/नुकसान के होते हैं
कल्पातीत
16 स्वर्ग के ऊपर के देवों को कहा जाता है । कल्प :- कल्पना भेदों की ( अलग तरह के देव ), भवनवासियों में
चुगली
सबसे बडा शत्रु – चुगली करने वाला, क्योंकि वो दो प्राणीयों के भाव खराब करता है। अत: कम से कम चुगली ना सुनने का नियम
रोग
असाता के उदय से और असाता होती है, उससे —» शोक —» असाता के अनुभाग में वृद्धि —» रोग में वृद्धि । उपचार – समता
परनिंदा
सफ़ेद कैनवास पर छोटा सा काला धब्बा लगाकर पूछने पर कि क्या दिखा ? सब यही कहेंगे कि काला धब्बा दिखा । इतना बड़ा सफ़ेद
विग्रह गति
1. विग्रह याने शरीर, जो शरीर के लिये गति करे । 2. विग्रह याने विरूद्ध ग्रह, कर्म का ग्रहण करते हुये भी नोकर्म का
प्रदेश/परिमाण
लोह पिंड़ बहुत प्रदेश वाला तथा अल्प परिमाण वाला होता है, रूई अल्प प्रदेश वाली तथा महा परिमाण वाली होती है । तत्वार्थ सुत्र टीका
कषाय
अनंतानुबंधी ( अति तीव्र कषाय ) :- अपनी सीट और साथ वाली भी घेर लेना। अप्रत्याख्यान ( तीव्र कषाय ) :- अपनी सीट पर ही बैठना। प्रत्याख्यान
अनंत/संख्यात- भेद
अनंत के अनंत भेद होते हैं । संख्यात के संख्यात भेद होते हैं । तत्वार्थ सुत्र टीका – पं. श्री कैलाशचंद्र जी
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