Day: May 6, 2010

संसार

संसारी जीव संसार के चक्कर को चक्कर ना मान कर शक्कर मान रहा है । मीठे का आदी हो जाने के कारण यथार्थ को भी

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व्रती

व्रती 3 शल्य ( माया – मायाचारी, निदान, मिथ्यादर्शन ) रहित होता है ।

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मंगल आशीष

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May 6, 2010