Day: May 14, 2010

ज्ञायक

ज्ञायक बन गायक नहीं, पाना है विश्राम; लायक बन नायक नहीं, जाना है शिवधाम। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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भाव

2 प्रकार 1. परिस्पंदन रूप – मन, वचन, काय से । 2. अपरिस्पंदन रूप – सामान्य भाव से । परिस्पंदन रूप भाव तीव्र मंद होते

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मंगल आशीष

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May 14, 2010