Day: May 30, 2010

करूणा

करुणा करने वाला अहं का पोषक भले ही ना बने, परन्तु स्वंय को गुरू अवश्य समझने लगता है तथा लेने वाले को शिष्य । सुख

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मान

बकरी तो मैं-मैं करै, अपनौ मूड़ कटाऐ । मैना तो मै-ना कहै, दूध भात नित खाये ।। श्री लालमणी भाई

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मंगल आशीष

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May 30, 2010