Month: May 2010

कुमति/सुमति

कुमति/सुमति ज्ञान में अंतर क्या है ? दोनों ही बराबर, दोनों में क्षयोपशम बराबर है, सिर्फ “सुमति” में सम्यग्दर्शन का ठप्पा लगा है । पं.

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स्वभाव

अपना घर छोड़ना बडा़ मुश्किल काम है,  अपना स्वभाव छोड़ना और भी  मुश्किल,  पर असम्भव नहीं |

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बहुरूपणी विद्या

बहुरूपणी विद्या से जो बहुत सारे रूप या सेना बनती है, उनमें आत्मायें होती हैं क्या ? यदि होतीं हैं, तो वह आत्मायें किसकी होतीं

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ज्ञान

गाय को यदि खूंटे से बांध कर नहीं रखा तो वह भटक जाती है । ज्ञान को भी यदि श्रद्धा के खूंटे से बांध कर

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सयोग केवली में

–                                                                                                                                                  क्षायिक लाभ से – नो कर्म वर्गणाओं का ग्रहण होता है । क्षायिक भोग से – गन्धोदक, पुष्पवृष्टि आदि होती है । क्षायिक उपभोग

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आत्मा मूर्तिक/अमूर्तिक

आत्मा मूर्तिक – व्यवहार नय से, व्यवहार – वर्तमान की अपेक्षा से/उपचार से, Proof क्या है ? Anesthesia मिलने पर चेतनता पर असर होता है

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धर्मध्यान का फल

सन् 1994 में गुरू श्री के प्रथम दर्शन करके गुना से लौट रहे थे । श्री जैसवाल ने अपने Managing Director श्री आई. महादेवन के

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संवर

आश्रव के होते हुये संवर नहीं होता । संवर – गुप्ति, समिति, धर्म, अनुप्रेक्षा, परिषहजय और चारित्र से होता है । तत्वार्थ सुत्र टीका –

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मोक्ष/संसार

श्रीमति शकुंतला जी की आर्यिका दीक्षा सोनागिर जी में 23 मई 2010 को संपन्न होनी थी । Programme पता करने के लिये, उनके पुत्र श्री

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मंगल आशीष

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May 26, 2010