Month: June 2010
Prayer
Pray Ordinarily to God, He will do Extra Ordinary to you, Be natural to God, He will do supernatural for you, Do Whatever possible for
कर्म का बटबारा
कर्म प्रकृतियों का एक भाग सर्वघाति को मिलता है तथा अनंत बहुभाग देशघाती को मिलता है । कर्मकांड़ गाथा : – 197
कर्म का बटबारा
( गाथा192 में कर्म के बटबारे के कम ज्यादा का Criteria ? ) जिस जिस कर्म की स्थिति अधिक, उसको अधिक भाग मिलता है ।
ज्ञाता-द्रष्टा
एक किसान रोजाना अपनी पत्नी को पीटता था, गुरू ने कहा – ज्ञाताद्रष्टा बन जाओ, इस तरकीब से किसान पत्नी को पीट नहीं पाता था
कर्म का बटबारा
( नीचे की गाथा में देखा कि कर्म का बटबारा सबसे अधिक वेदनीय कर्म को जाता है – इसका कारण ? ) वेदनीय सुख दुख
क्षमा
शांत-स्वभावी की क्षमता बढ़ जाती है। झगडे में शोर बहुत होता है, सुलह शान्ति से होती है । आत्मा का स्वभाव झुकना है, पर हम
कर्म का बटबारा
जो भी कर्म हम करते हैं उनका बटबारा आठों कर्मों में होता है । आयु कर्म से ज्यादा नाम और गोत्र कर्म को, नाम और
ब्रम्ह्चर्य
पर के पास जितना जाओगे, आत्मा से उतने ही दूर हो जाओगे । शुक देव को 20 साल की अवस्था में वैराग्य हो गया ओर
ज्ञान/मान
ज्ञान बंध का कारण नहीं, यदि मान आजाये तो वह बंध का कारण है , जैसे दूध में यदि विष मिल जाये तो वह विष
पुदगल द्रव्य का ग्रहण
(नीचे की गाथा देखें – यह बात कैसे सिद्ध होगी कि जीव ने अनंत बार सब पुदगल परमाणुओं को ग्रहण किया है ?) आ.
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