Day: June 9, 2010

संहनन

अयोग केवली के संहनन नहीं होता । उनके नोकर्म रूप औदारिक शरीर का सत्व मात्र है । नारकियों, देवों, विग्रहगति, आहारक शरीर और एक इन्द्रिय

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गुरू

गुरू आदेश नहीं, निर्देश देते हैं । निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी

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मंगल आशीष

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June 9, 2010