Day: July 12, 2010

गुणस्थान

दु:खमा-दु:खमा, उत्सर्पिणी के दु:खमा तथा म्लेच्छ खंडों में हमेशा पहला गुणस्थान ही रहता है । भोगभूमियों में चौथा गुणस्थान तक होता है । यहां ॠद्धिधारी

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संसार

किसी भी बड़ी से बड़ी मशीन का छोटे से छोटा पुर्ज़ा भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना बड़ा पुर्ज़ा । हर पुर्ज़ा अपना role

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मंगल आशीष

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July 12, 2010