Day: July 26, 2010

कपाट-समुदघात

कपाट-समुदघात के समय शरीर की कापोत-लेश्या होती है । औदारिकमिश्र-काययोग में हमेशा कापोत-लेश्या होती है । कार्मण-काययोग में शुक्ल-लेश्या ही होती है ।

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गुरूजन

एक चोर को सेठ ने रात को चोरी करते हुये देख लिया । अगले दिन एक दावत में सेठ पंगत में बैठा, पास में ही

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मंगल आशीष

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July 26, 2010