Day: August 18, 2010

आत्मा

पाषाण में भांति भांति की प्रतिमाऐं बनने की क्षमता है, जिस तरह की प्रतिमा का विकास कर लोगे वैसी ही मूर्ति बन जायेगी । आत्मा

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निदान/लोकेषणा

निदान – अगले जन्म के लिये किया जाता है । लोकेषणा – इसी जन्म के लिये । क्षु. श्री जिनेन्द्र वर्णी जी (शांतिपथ प्रदर्शक)

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मंगल आशीष

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August 18, 2010