Day: August 28, 2010

नि:कांक्षित

जब वांक्षा नहीं, तो वांक्षा-जन्य कर्म-बंध भी नहीं होगा, किन्तु पूर्व-कर्मों की निर्जरा होगी । आचार्य श्री विद्यासागर जी (समयसार-245 )

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लाज़बाब

जो दूसरे को ज़बाब नहीं देता. वह लाज़बाब है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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मंगल आशीष

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August 28, 2010