Month: September 2010

धर्म

जो जगा दे, झकझोर दे, निद्रा तोड़ दे । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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शुद्धोपयोग

सातवें से बारहवें गुणस्थान तक ही शुद्धोपयोग क्यों, केवली के क्यों नहीं रहता ? केवली बनने पर ध्याता-ध्येयपने का अवलम्बन नहीं रहता, इसीलिये ध्यान भी

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Death

“Life is a question which nobody can answer….. Death is an answer Which nobody can question….!” (Mr. Manish – Gwalior)

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Worries And Tensions

Worries and tensions are like birds. we can not stop them from flying near us, but  we can certainly stop them from making a nest

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कैसे मांगें ?

भगवान से ऐसे मांगें, जैसे बिना बोलने वाला बच्चा अपनी मां से मांगता है । श्री लालमणी भाई

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गुरू

मार्ग पर चलते समय यदि कोई बोलने वाला मिल जाये, तो रास्ता सरल हो जाता है । और यदि रास्ता बताने वाला मिल जाये, तो

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क्षमा उत्तम

अंत:करण को अंजुली बनाकर के ….. क्षमा का दान दें । श्री नीलेश भैया लंबा है जीवन, गल्तियां अपार ! आपके पास है क्षमा भाव

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औदारिक-मिश्र

धवला तथा गोमटसार के अनुसार औदारिक और कार्मण वर्गणायें, अपर्याप्तक अवस्था में ग्रहण करने से इसे औदारिक-मिश्र कहते हैं । पर सर्वार्थसिद्धी के अनुसार औदारिक-मिश्र

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क्षमावाणी

‘भूल’ से अगर ‘भूल’ हो गयी, तो ‘भूल’ समझकर ‘भूल’ जाना, मगर ‘भूल – ना’ सिर्फ ‘भूल’ को, ‘भूल’ से हमें मत ‘भूल’ जाना ।

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क्षमावाणी पर्व

क्षमा अंत:करण की उदारता है । क्षमा सामाजिक और पारिवारिक तौर पर तो बहुत मांगी जाती है, पर असली तो आत्मिक और आंतरिक है ।

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मंगल आशीष

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September 30, 2010

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