Month: November 2010
परोपकार
ज्याद कमाओ औरों को, कम कमाओ अपने को । श्री लालमणी भाई (दान/परोपकार अधिक, अपने पर खर्च कम)
केवली के अशुभ प्रकृतियां
केवली भगवान के अशुभ प्रकृतियां सत्ता में अंत समय तक रहती हैं तथा उनका उदय भी रहता है, पर अनुभाग कम होने से Effective नहीं
पुरूषार्थ
आजकल पुरूषार्थ व्यायाम करने वाली साइकिल जैसा है , चलाते चलाते, पसीना पसीना हो जाते हैं पर पहुंचते कहीं नहीं । मुनि श्री सौरभसागर जी
Worship
Worship is not a ”Spare wheel” that you pull out when in trouble, but it is a ”Steering wheel” that direct the right path throughout.
कल्पना
कल्पना अस्थिरता देती है । बिना पैर का पक्षी है, उड़ता तो बहुत है पर उतरता कहीं नहीं है । मुनि श्री सौरभसागर जी
सम्यग्दर्शन
सौधर्म इन्द्र और राजा श्री राम आदि सारे बलभद्र महान सम्यग्दृष्टि होते हैं, सारे बलभद्र क्षायिक सम्यग्दृष्टि होने का नियम नहीं है । पं. रतनलाल
बुराई
एक पेड़ से 1 लाख तीलियां बनती हैं, पर एक माचिस की तीली 1 लाख पेड़ों को जला देती है ।
त्याग
मज़बूरी से त्याग करने में पुण्य कम मिलता है, त्याग तो मज़बूती से होना चाहिये । वृद्धावस्था में इच्छायें कम होने से पुण्य कम मिलेगा,
निगोद/मोक्ष में जीव
निगोद से 6 माह 8 समय में 608 जीव निकलते हैं, उतने ही मोक्ष जाते हैं, उनमें भव्य कितने ? ऐसा कहीं लिखा नहीं है
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