Month: December 2010
नयन
नयन यानि ‘नय + न’, यानि नयों के परे। शांत, निर्विकल्प तथा सरल दृष्टि वाले ही ‘नयन’ होते हैं । (बाकि सब तो सिर्फ दिखने
ध्यान
व्यग्रता दूर करने के लिये ध्यान ही एक मात्र उपाय है । चंद्रमा की वक्रता दूर होते होते ही वह पूर्ण/संपूर्ण चाँद बनता है ।
काम
काम उतना, जितने में काम चले, काम तब बढ़ाओ, जब काम ना चले, काम तब कम कर दो, जब जीवन का आनंद कम होने लगे
Prayer
An excellent quote written on a prayer hall : “God has time to listen….. do you have time to pray”…..??”
सासादन से गतियाँ
सासादन गुणस्थान से नरक गति के अलावा, तीनों गतियों में जीव जाता है ।
अहंकार
अहंकार की तासीर है कि वह पहले तुम्हें ऊपर ले जायेगा, फिर जोर से नीचे पटकेगा । श्री लालमणी भाई
विपत्ति
व्यक्ति को समझदार बनाने में, सम्पत्ति से ज्यादा विपत्ति का योगदान होता है । (ड़ा. अमित)
पंचम काल
पंचम काल में सातवें गुणस्थान तक ही क्यों ? पंचम काल में सातवें गुणस्थान तक ही, क्योंकि श्रेणी माडने ( चढ़ने ) के लिये उत्तम
Pain
Winning Horse does not know – why it runs in race. Actually he runs because of beats and pains. God is our rider, if you
कर्ज़दार
कर्ज़दार निस्तेज रहता है । तेज वापस पाना है तो कर्ज़ चुका दो, माता-पिता का, गुरू, समाज, धर्म का ।
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