Day: December 4, 2010

जीवन

जीवन रेल की पटरी नहीं जो हमेशा समानांतर चले, यह तो गंगा की धारा जैसी होनी चाहिये जो कहीं गिरती है, कहीं रूकावटें आती हैं,

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मंगल आशीष

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December 4, 2010

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