Month: December 2010

मिथ्यात्व/अनंतानुबंधी

मिथ्यात्व के उदय आने पर भी अनंतानुबंधी एक आवली के बाद ही उदय में आती है । क्योंकि उदयावली की वर्गणाओं की संयोजना नहीं होती,

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शरीर की देखभाल

गाड़ी के पहिये में औगन (Black Lubricating Oil) उतना ही ड़ालो, जिससे आवाज आना बंद हो जाये । ज्यादा ड़ालोगे तो कपड़ों पर फैलेगा, कपड़े

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पाप

पापी से नहीं पाप से घ्रणा करो । पापी से घ्रणा करोगे तो पापी दूर होगा, और पाप से घ्रणा करोगे तो पाप दूर होगा

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अपना घर

नई नई आंखें हों, तो हर मंजर अच्छा लगता है, कुछ दिन शहर में घूमे, लेकिन अब घर अच्छा लगता है ।

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परिषह-जय

परिषह = सब ओर से, परिषह-जय – सब ओर से सहना । प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुकूल महसूस करना, इससे कर्मों का संवर और निर्जरा होती

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आरम्भ

कमीज का यदि पहला बटन गलत लग गया तो आगे के सारे बटन गलत ही लगेंगे । (हो सकता है कि आखरी बटन पेंट के

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अंतरंग

घर को खोजे रात दिन, घर से निकले पांव, वो रास्ता ही खो गया, जिस रास्ते था गांव ।

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मंगल आशीष

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December 17, 2010

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