Month: December 2010

नयी जगह

किसी नयी जगह जाओ तो वहां कोई जानकार नहीं होता, किससे बात करें ? ज़रूरत पड़ने पर किससे सहायता मांगें ? हर जगह मंदिर तो

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पर्याय

पर्याय का ज्ञान होना बाधक नहीं है, पर्याय में मूढ़ता का आ जाना बाधक है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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बंधन

सुबह घूमने जाते समय बहुत आनंद आता है, क्योंकि उस समय कोई Destination या Target दिमाग में नहीं होता है । पर Office जाते समय

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भाव

मूंगफली ने शिकायत की – मैं ज्यादा स्वादिष्ट, फिर बादाम की पूछ क्यों ज्यादा होती है ? गुरू – बादाम के भाव ज्यादा हैं इसलिये

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वैराग्य

वैराग्य की बात करना और वैराग्य से बात करने में बहुत अंतर है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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मंगलाचरण

कषायपाहुड़ में मंगलाचरण नहीं लिखा गया है । कारण पूंछने पर बताया – इसका तो हर शब्द मंगलाचरण ही है ।

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आकांक्षा

अकबर ने तानसेन से पूछा – तुम्हारे गुरू कौन हैं ? मैं उन्हें सुनना चाहता हूँ । तानसेन अकबर को ले कर गुरू रामदास की

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जीवन

जीवन रेल की पटरी नहीं जो हमेशा समानांतर चले, यह तो गंगा की धारा जैसी होनी चाहिये जो कहीं गिरती है, कहीं रूकावटें आती हैं,

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मंगल आशीष

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