Month: January 2011

भटकन

मेले में भटके होते तो कोई घर पहुँचा जाता, हम घर में भटके हैं कैसे ठौर ठिकाने आएंगे | (सुश्री रूचि)

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सफ़र

चलने को चल रहे हैं, पर ये खबर नहीं – कि हम सफ़र में हैं या मंज़िल सफ़र में है । स्व. प्रो. श्री जे.

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Prayer

A 2002 study of AIDS patients published in the ‘Annals of Behavioural Medicine’ found that the most religious patients had the lowest levels of the

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Destination

If the path is beautiful, first confirm where it leads….. But, if the destination is beautiful, don’t bother how the path is……      

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क्षमा

मनुष्य का आभूषण रूप है । रूप का आभूषण गुण है । गुण का आभूषण ज्ञान है । ज्ञान का आभूषण क्षमा है ।

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स्वानुभव

दर्पण को जब गौण करोगे, तब अपना बिम्ब दिखेगा । बाह्य पदार्थों का महत्त्व जब कम करोगे, तब स्वानुभव होगा । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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सम्यक्त्त्व और आस्रव

सम्यक्त्त्व तो आस्रव का कारण होता नहीं है, फिर देवायु में कारण क्यों कहा ? सम्यग्दृष्टि जीव जब आयुबंध करता है तब देवायु का ही

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राग/द्वेष

दर्द हड़्ड़ी टूटने पर ज्यादा होता है या Dislocation में ? शरीर का Damage किसमें ज्यादा होता है ? दौनों में बराबर होता है । Dislocation

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मंगल आशीष

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January 15, 2011

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