Month: November 2018
सिंघाड़ा
आचार्य श्री विद्यासागर जी के संघ में सिंघाड़ा नहीं लेते पर उसे अभक्ष्य नहीं मानते । मुनि श्री सुधासागर जी
पुरुषार्थ / धर्मध्यान
पैर का काँटा, धर्म करने से नहीं पुरुषार्थ से निकलेगा । पर धर्मध्यान से काँटे की वेदना जरूर कम हो जायेगी । मुनि श्री सुधासागर
नोकर्म / नोकषाय
नोकर्म/नोकषाय वह जो बिना कर्म/कषाय के प्रभावक न हो । मुनि श्री सुधासागर जी
सतयुग / कलयुग
जहाँ बुरा बूरा लगे, वहाँ सतयुग, जहाँ खरा अखरे ,वहाँ कलयुग ! आचार्य श्री विद्यासागर जी
चातुर्मास कलश
किसी भी कलश को धोक या अर्घ नहीं चढ़ाना चाहिये । मुनि श्री सुधासागर जी
तर्क
भगवान दिखता है ? उसे छू सकते हो ? नहीं तो मानते क्यों हो ? Sense दिखते हैं ? छू सकते हो ? तो क्या
विग्रह गति में कर्म बंध
कार्मण शरीर की वजह से विग्रह गति में कर्म बंध होता है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
सहनशीलता
हथौड़ी कांच पर गिरे तो चकनाचूर, सोने पर गिरे तो चमक । हम क्या हैं ? और क्या बनना चाहते हैं ? मुनि श्री प्रमाणसागर
मुनि और पूजा
मुनि पूजा नहीं करते क्योंकि… 1. वे पाप ही नहीं करते, तो प्रक्षालन क्यों करें ! 2. उनके पास निर्जरा के और बड़े बड़े साधन
जीवन
बालावस्था – ज्ञानार्जन, युवावस्था – धनार्जन, वृद्धावस्था – पुण्यार्जन
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