Month: August 2019

सम्यग्दृष्टि

मिथ्यादृष्टि – सिर्फ भूसा चाहता है, सराग सम्यग्दृष्टि – गेंहू + भूसा चाहता है, वीतराग सम्यग्दृष्टि – मात्र गेंहू चाहता है । मुनि श्री सुधासागर

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Analysis

ज्यादा Analysis करने से Paralysis हो जाती है ; करना ही है तो अंतरंग विकारों का करें, बाह्य परिस्थितियों का नहीं ।

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आहार संज्ञा

आहार संज्ञा तो अनादि से है, पर आहार से पहले तथा बाद में रस ले ले कर कर्मबंध को बढ़ाओ तो मत । रस त्याग

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पाना

सिर्फ़ चाहने से पाया नहीं जाता, पाने की चाह छोड़ने से पाया जाता है/उस राह पर चलने से पाया जाता है । मुनि श्री प्रमाणसागर

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वर्ण और रूप

वर्ण याने रंग, रूप यानि मूर्तिकपना । ज्ञानशाला – समयसार गाथा – 55

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दूरियाँ

पुस्तक को आँखों के बहुत करीब रखने से पढ़ नहीं पाओगे तथा आँखों में भी दर्द होने लगेगा । सांसारिक संबंधों में भी उचित दूरी

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वीतरागी की निर्जरा

संवर सहित – 1. सविपाक निर्जरा 2. अविपाक निर्जरा बिना फल दिये झड़ना, नपुंसक की तरह बिना संतति (कर्मों की) ज्ञानशाला

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भक्त

जो संसार से विभक्त होकर, भगवान/गुरु के चरणों में समर्पण कर दे ।

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मंगल आशीष

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August 26, 2019