Month: September 2019
सराग/वीतराग सम्यग्दृष्टि
सराग सम्यग्दृष्टि – जिनकी श्रद्धा और करनी में अंतर हो, वीतराग सम्यग्दृष्टि – इनकी श्रद्धा और करनी में फर्क ना हो । मुनि श्री
मूलनायक
तीर्थंकर ही मूलनायक क्यों ? गृहस्थों की अपेक्षा 5 कल्याणक वाले पूर्णता के प्रतीक, गर्भकल्याणक मंगलकारी । मुनि श्री सुधासागर जी
संलेखना बोध
आप अपनी अंतिम यात्रा की तय्यारी कर रहे हैं ! आप लोग मेरे शरीर की अंतिम यात्रा की ओर देख रहे हैं; मैं संसार की
पुण्य / विशुद्धि
पहले आचार्य श्री विद्यासागर जी हर समस्या का समाधान “पुण्य बढ़ाओ” बताते थे, अब “विशुद्धि बढ़ाने” को कहते हैं ।
मिथ्यात्व
मिथ्यात्व बंध का कारण नहीं, यह तो जड़ है । मिथ्यात्व-भाव, बंध का कारण है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
सन्यास
सत्य में व्यस्त होकर, संसार से विरक्त होना ही सन्यास है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
गुरु
चारों गतियों में सिर्फ मनुष्य पर्याय में गुरु Guide के रूप में मिलते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी
भगवान से मांगना
ज्यादातर चीजें समीप जाने पर बगैर मांगे मिल जाती हैं… जैसे *बर्फ* के पास *शीतलता* , *अग्नि* के पास *गरमाहट* और *गुलाब* के पास *सुगंध*
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