Month: May 2020

असंज्ञी

असंज्ञी सिर्फ अपना रोना रोता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी ( हम यदि रोना रोते रहते हैं, तो हम क्या हैं ? )

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पूर्व / पश्चिम

पश्चिम की हवा लोगों को रुचिकर लगती है । पर वे भूल जाते हैं कि शीतलता तो पुरवय्या में ही होती है ।

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प्रश्न

महावीर भगवान की दिव्य-ध्वनि तब खिरी, जब प्रश्न-कर्ता मिला । प्रश्न के माध्यम से ही कर्ता मिला, प्रश्न ने ही गौतम स्वामी को गणधर पद

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गर्भ में संस्कार

गर्भ में बच्चा सुनता नहीं, पर संस्कारित होता है । (जैसे पेड़/पौधों की Growth) तथा माँ के संस्कार भोजन के द्वारा पहुँचते हैं । मुनि

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प्रायश्चित

3 प्रकार से – 1. उन गुरु से, जिनसे नियम लिया हो । 2. उन गुरु की समाधि की अवस्था में, उस परम्परा और आचार-विचार

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प्रकाश

प्रकाश ऐसा उत्पन्न करो, जिसके लिये दियासलाई की तीली की ज़रूरत ना पड़े । स्वप्रकाशित/ स्वआश्रित ।

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अध्यात्म

अध्यात्म = अधि (की ओर) + आत्म (आत्मा) मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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इच्छा

“मेरा मकान अच्छा हो” चलेगा/दोष नहीं, पड़ौसी से अच्छा हो – अपराध; प्रतिस्पर्धा खुद से ठीक, दूसरों से गुनाह । इच्छा इतनी करो कि बिस्तर

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भगवान ने देखा

भगवान ने क्या देखा, भगवान जानें, भगवान ने क्या कहा, हम जानें और उसको follow करें ।

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मंगल आशीष

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May 6, 2020