Month: November 2021
सम्बंध
सम्बंध तीन प्रकार के – 1. संयोग 2. संश्लेष 3. तादात्म्य पहले दो बेईमान हो सकते हैं पर तादात्म्य सम्बंध नहीं। मैं और आत्मा…. पर्यायवाची/
लब्धि
पहले क्षयोपशम-लब्धि, इसमें अपनी कमजोरियों/पाप की लिस्ट बनाना । उस लिस्ट को लेकर गुरु के पास जाओगे तब वे देशना देंगे । वह देशना शिष्य
फल
सारी घटनायें हमेशा पूर्व कर्मों का फल ही नहीं होतीं, संयोगाधीन भी होती हैं । सारे बैंक ट्रांजैक्शन पूर्व जमापूंजी के अनुसार ही नहीं होते
लब्धि
अंतराय कर्म के क्षयोपशम से क्षयोपशम-लब्धि प्राप्त होती है, क्षय से क्षायिक-लब्धि । पांच लब्धियों(क्षयोपशम, विशुद्ध, देशना, प्रायोग्य, करण) की प्राप्त होने पर सम्यग्दर्शन होता
खुशी
सजावट के लिए बाजार से सामान लाना या घर में रखी चीजों से सजावट करना ! खुश रहने के लिए सामग्री जमा करना या जो
ज्ञान
केवल-ज्ञान त्रिकाली है, पर्याय को बिना उसके पास जाये जानता है, ढकी को बिना ढके देखता है। मति/श्रुत-ज्ञान सिर्फ वर्तमान को जानता है, उसी में
दर्शन
अंतरंग-दर्शन के लिए चिंतन (चेतना है तो चिंतन होना भी चाहिए) । बाह्य-दर्शन के लिए उपनयन (“उप”-पास से, पर साफ दृष्टि होनी चाहिए तभी सही
णमोकार बीजाक्षर
7वें गुणस्थान के ऊपर णमोकार स्तवन नहीं, णमोकार का स्तवन शुभोपयोग में होता है, शुद्धोपयोग में बीजाक्षरों का, जो केवलज्ञान में निमित्त बनते हैं। श्रावकों
भगवान का नाम
एक ग्वालन लोगों को नाप नाप कर दूध दे रही थी बदले में पैसे ले रही थी । पास ही एक साधु हाथ में माला
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