Month: December 2021
अपशगुन
अपशगुन से डरना क्यों ? जब चार मंगल….अरहंत, सिद्ध, साधु और धर्म पर तुम्हें विश्वास है, तो अमंगल कैसे होगा ? चारों श्रेष्ठ हैं, इसलिये
ईर्ष्या
ईर्ष्या क्यों ? ईर्ष्या तो बड़ों से होती है, मैं छोटा क्यों बनूँ ! आचार्य श्री विद्यासागर जी
परिभाषा और दोष
सम्यग्दर्शन आदि की परिभाषा 3 दोषों से रहित होनी चाहिये। दोष…. 1. अव्याप्ति : जो हमेशा/ हर परिस्थिति/क्षेत्र में न रहे जैसे गाय जो दूध
आत्मा को संबोधन
जिन्होंने अपनी आत्मा को कमज़ोर/आत्मविश्वास कम कर लिया है, वे आत्मा को स्त्रीलिंग से संबोधित करते हैं; मजबूती वाले पुल्लिंग से। चिंतन
विनय
सन् 89 में एक दूसरे संघ के मुनि हमारे संघ में रहे थे। वे छोटे/बड़े सब मुनियों के रोज़ पैर छूते थे। कारण ? मुनि
फटे में पैर डालना
दूसरों के यहाँ कुछ भी अच्छा/बुरा हो, हम कहते हैं – दूसरों के फटे में मैं क्यों पैर डालूँ। पर कर्म भी तो दूसरे हैं,
ज़ुम्मेदारी
गाली सामने वाले ने दी, नरक द्वीपायन मुनि गये। कारण ? सामने वाले ने गुस्सा कहाँ किया था ! गाली तो पौदगलिक थी, मुनिराज ने
तेजस्विता
1922-23 में आचार्य श्री शांतिसागर जी दक्षिण से उत्तर की ओर आ रहे थे। लोगों ने उत्तर की कठिनाइयों के लिये निवेदन किया कि आप
भेद / अभेद
भेद से संसार चलता है/ धर्म की शुरुवात भी भेद से, पर पूर्णता अभेद से जैसे वस्त्र बनाने से पहले उसके टुकड़े करने पड़ते हैं
सम्बंध
प्राय: बेटे की कामना करते हैं पर केरल में बेटी की (गाय/भैंस के बछ्ड़ी की) वास्तविकता यह है कि न हमको बेटे से मतलब है
Recent Comments