Month: March 2024
अनेकांतवाद / अहिंसा
अनेकांतवाद वैचारिक स्तर पर अहिंसा है और स्याद्वाद भाषा के स्तर पर। काया के स्तर पर अहिंसा जीवरक्षा का रूप लेती है। कमलकांत
बोलना
मशीन जब खराब/ पुरानी हो जाती है तो आवाज करने लगती है। मुनि श्री सुप्रभसागर जी (हम यदि हित, मित, प्रिय नहीं बोल रहे हैं
9 लब्धि
भोग तथा उपभोग लब्धियाँ पूर्णतया तीर्थंकरों को ही होती हैं। सामान्य केवलियों के भी पूरी 9 लब्धि होती हैं, पर अंतरंग। मुनि श्री प्रणम्य सागर
भगवान के दर्शन
1. अहम् शांत होता है, झुकना सीखते हैं। 2. दर्शन से/ उनकी मुस्कान से दुःख कम होते हैं, हम लेनदेन करके दुःख कम करते हैं,
प्रातिहार्य / मंगल
प्रातिहार्य भगवान के लिए होते हैं। उनके अतिशय से भी होते हैं। ये सदा अरहंत भगवान/ मूर्ति के पास/ साथ रहते हैं। आठ मंगल* मूर्ति
बंधन
प्रायः संसारी जीव आश्रित रहना चाहता है, बंधन स्वीकारता है, कर्म बंध करता है। शांतिपथप्रदर्शक पर, विडम्बना यह है कि बंधन में आनंद लेने लगता
क्रियायें
प्रकार → 1. पाप क्रिया → सर्वथा हेय/ अशांति का कारण/ कर्म धारा रूप 2. पापानुबंधी-पुण्य क्रिया → मिश्र, मसाले जैसा पुण्य/ पाप, 3. पुण्यानुबंधी-पाप
मान
चारों कषायों (क्रोध, मान, माया और लोभ) में से सिर्फ मान (गर्व) का “मान” किया जाता है, कैसी विडम्बना है ? कमल कांत
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