Day: April 3, 2024

सल्लेखना

श्री कर्मानंद जी (जैनेतर) जैन धर्म से बहुत प्रभावित थे पर सल्लेखना को आत्मघात मानते थे। थोड़े दिन बाद उन्हें बहुमूत्र रोग हो गया। अशुद्धि

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कार्य

स्थान तथा रूप परिवर्तन ही कार्य होता है। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी

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मंगल आशीष

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April 3, 2024