Month: April 2024
साधना
हिमालय पर चढ़ने के लिये बहुत साधना करते हैं, जान तक दे देते हैं। पाते क्या हैं ? कुछ मिनटों का सुख। मोक्ष के अनंत
क्षमा
“क्षमा” शब्द “क्षम्” धातु से बना है। “क्षम” यानी धीर, पर्याप्त, अनुकूल, समर्थ। क्षमा वही करता है जिसमें क्षमता हो। (कमल कांत) (यह भी कह
विग्रह गति
कार्मण काययोग से विग्रह गति में कर्मबंध/ उदय, क्षयोपशम आदि बने रहते हैं। कर्मों के साथ कर्मबंध के जो अपने ही प्रत्यय पड़े हुए हैं
मृत्यु भय
मृत्यु भय किसे ? जिसको जीवन से जितना मोह/ लगाव होता है, उतना ही उसे मृत्यु से भय लगता है। जिसको “जीवन (शरीर)” से नहीं
सल्लेखना
श्री कर्मानंद जी (जैनेतर) जैन धर्म से बहुत प्रभावित थे पर सल्लेखना को आत्मघात मानते थे। थोड़े दिन बाद उन्हें बहुमूत्र रोग हो गया। अशुद्धि
कार्य
स्थान तथा रूप परिवर्तन ही कार्य होता है। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
सचित्त-त्याग प्रतिमा
श्री रत्नकरण्ड श्रावकाचार में… सचित्त-त्याग प्रतिमा वाले को “दया की मूर्ति” कहा है। यानी सचित्त फल-सब्जियों को जीव सहित माना/ खाने पर हिंसा मानी। महापुराण
जीना
जीना चाहूँ तो जीना चढ़ने हेतु वरना क्या जीना ! आचार्य श्री विद्यासागर जी
गुरुपास्ति
मुनियों को न मानने वाले, गुरुपास्ति आवश्यक वैसे ही करते हैं जैसे बीरबल खिचड़ी पकाया करते थे। उनकी खिचड़ी कभी पक पायेगी ? मुनि श्री
ज्ञान
ज्ञान का समताभावी रुप… चारित्र, शंका रहित रूप……………. श्रद्धा। शांतिपथ प्रदर्शक
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