मुनि पद/मोक्ष पुण्योदय से नहीं, विशुद्धता बढ़ाने तथा कर्मों के क्षय करने से मिलता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि-मनन मात्र स्वरुप होने से साधु को मुनि कहते हैं अथवा अवधिज्ञानी,मनःपर्ययज्ञानी और केवलज्ञानी को मुनि कहते हैं। मोक्ष—समस्त कर्मों से रहित आत्मा के परम विशुद्ध अवस्था का नाम मोक्ष है।
मुनि पद और मोक्ष पुण्योदय से नहीं बल्कि विशुद्वता बढ़ाने तथा कर्मों के क्षय करने से मिलता है।
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मुनि-मनन मात्र स्वरुप होने से साधु को मुनि कहते हैं अथवा अवधिज्ञानी,मनःपर्ययज्ञानी और केवलज्ञानी को मुनि कहते हैं। मोक्ष—समस्त कर्मों से रहित आत्मा के परम विशुद्ध अवस्था का नाम मोक्ष है।
मुनि पद और मोक्ष पुण्योदय से नहीं बल्कि विशुद्वता बढ़ाने तथा कर्मों के क्षय करने से मिलता है।