परीक्षा / प्रतीक्षा / समीक्षा

परीक्षा संसार की करो,
प्रतीक्षा परमात्मा की
और
समीक्षा अपनी करो ।

पर हम…
परीक्षा परमात्मा की करते हैं,
प्रतीक्षा सुख की
और
समीक्षा दूसरों की करते हैं !

🇮🇳 इंडिया नहीं भारत बोलों 🇮🇳

(सुरेश)

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One Response

  1. उक्त कथन सत्य है कि परीक्षा संसार की होना चाहिए जबकि प़तीक्षा परमात्मा की ओर समीक्षा अपनी करना चाहिए। जबकि हम लोग इसके विपरीत करते हैं जिससे जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है।

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