सर्दियों में जिस सूरज का इंतज़ार होता है,
उसी सूरज का गर्मियों में तिरस्कार भी होता है ।
अतः आपकी कीमत तब होगी,
जब आपकी ज़रूरत होगी ।
🙏🏼(धर्मेन्द्र)🙏🏻
और ज़रूरत होती है…गुणों से ।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि संसार जरुरत के नियम से चलता है। लेकिन जिसमें गुणों का आभास होगा वहीं संसार को विधिवत चला सकता है। अतः जो उदाहरण दिया गया है वह सत्य है। अतः सूरज की तरह सबको चलना आवश्यक है ताकि जरुरत पर जीवन में रोशनी प़दान कर सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि संसार जरुरत के नियम से चलता है। लेकिन जिसमें गुणों का आभास होगा वहीं संसार को विधिवत चला सकता है। अतः जो उदाहरण दिया गया है वह सत्य है। अतः सूरज की तरह सबको चलना आवश्यक है ताकि जरुरत पर जीवन में रोशनी प़दान कर सकता है।