संगठन, समाज और परिवार को “मालिक” नहीं, “माली” बन कर संभालिये!
जो ख़्याल तो सब का रखता है, पर अधिकार किसी पर नहीं जताता!
(अनुपम चौधरी)
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उपरोक्त कथन सत्य है कि अधिकार को संगठन, समाज और परिवार का मालिक नहीं बल्कि माली बन कर संभालिए। यह भी सही है कि ख्याल तो सबका रखता है, लेकिन अधिकार किसी को जताना नहीं चाहिए। अधिकार को अहम् बन सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि अधिकार को संगठन, समाज और परिवार का मालिक नहीं बल्कि माली बन कर संभालिए। यह भी सही है कि ख्याल तो सबका रखता है, लेकिन अधिकार किसी को जताना नहीं चाहिए। अधिकार को अहम् बन सकता है।