भवनवासी देवों को “कुमार” कहा जाता है, उनकी ये देवियाँ “कुमारी” ।
पंचकल्याणकों में बच्चियों को ही 56 कुमारियाँ बनाना परम्परा/व्यवस्था है ।
ये ब्रह्मचारिणी नहीं होती हैं ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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कुमारियों का उपयोग हर मंगल कार्यों में किया जाता है,इसको शुभ माना गया है। अतः मुनि श्री का कथन पूर्ण सत्य है कि पंचकल्याणकों में बच्चियों को ही 56 कुमारियां बनना परम्परा एवं व्यवस्था होती है, जो उपरोक्त कार्य में शुभ माना गया है।
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कुमारियों का उपयोग हर मंगल कार्यों में किया जाता है,इसको शुभ माना गया है। अतः मुनि श्री का कथन पूर्ण सत्य है कि पंचकल्याणकों में बच्चियों को ही 56 कुमारियां बनना परम्परा एवं व्यवस्था होती है, जो उपरोक्त कार्य में शुभ माना गया है।