क्षपक श्रेणी चढ़ते समय 60 प्रकृतियों का नाश हो जाता है पर 3 आयु (नरक, तिर्यंच, देव) का अस्तित्व चरम-शरीर के होता ही नहीं है।
ये 3 प्रकृतियाँ ही हैं जो बिना प्रयत्न किये समाप्त हो जाती हैं।
ऐसे 63 प्रकृतियों के क्षय से केवलज्ञान प्रकट होता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि 63 प़कृतियों के क्षय से केवल ज्ञान प़कट होता है!
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मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि 63 प़कृतियों के क्षय से केवल ज्ञान प़कट होता है!