गुणग्राहकता

गोबर गिरकर, उठाते समय भी कुछ ना कुछ अपने साथ लेकर उठता है ।

श्री सौरभ जैन – नोयड़ा

हम उठने की चाह तो रखते हैं फिर गुणों को ग्रहण क्यों नहीं कर पाते !!
इसीलिये उठने के नाम पर गिर रहे हैं।

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