निर्वेग
वेग में तो पढ़े/बिना पढ़े सब बराबर हो जाते हैं ।
विकलता के साथ तो धार्मिक क्रियायें/वैराग्य भी सही नहीं है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
वेग में तो पढ़े/बिना पढ़े सब बराबर हो जाते हैं ।
विकलता के साथ तो धार्मिक क्रियायें/वैराग्य भी सही नहीं है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी