पं. श्री रतनलाल मुख्तार जी ने परिग्रह की सीमा का नियम लिया । मंहगाई बढ़ती गयी, उन्होंने एक बार खाना शुरू कर दिया, और बढ़ी तो वे आधी धोती पहनने लगे । परिस्थितियों के साथ नियम नहीं बदलने चाहिये, बल्कि अपने आपको बदलें ।
पाठशाला
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