जैन धर्म सब जीवों के लिये है, पर जैन श्रावकों के लिये विशेष अनुष्ठान हैं । अन्य श्रावक गोत्र बदल कर विशेष क्रियानुसार जैन बन सकते हैं, जैसे दसवीं शताब्दी में खंडेला राजा और उनकी प्रजा बदलकर खंडेलवाल जैन बनी थी ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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