पर्याय अनश्वर

पूरे दिन में एक घंटा धर्म करने वाले अपने आपको Permanently धर्मात्मा मानने/कहने/कहलवाने लगते हैं ।
अनंतकाल की तुलना में एक वर्तमान मनुष्य पर्याय/वैभव आदि का क्या महत्व है !
इस पर हम क्यों घमंड़ कर रहे हैं !!
अपने गंतव्य/पुरुषार्थ को क्यों भूल रहे हैं !!!

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2 Responses

    1. अनंतकाल का backlog है/ पापों का ढेर है,
      1,2 घंटे/ छोटी सी पर्याय(वह भी कब सिमट जाय,पता नहीं)
      उस पर भी घमंड करते हो !
      घमंड से साथ के साथ धर्म को मिटाते भी जा रहे हो!!

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