दृष्टि

नासाग्र दृष्टि ही सरल दृष्टि है, इसी से समता आती है । यह प्रमाण-ज्ञान है, जबकि दृष्टिकोण नय-ज्ञान है।

नासाग्र दृष्टि – नाक की सीध में दृष्टि रखना, ध्यान की उत्कृष्टता में यही दृष्टि रखी जाती है, भगवान की मूर्तियों में यही दृष्टि दिखती है।
प्रमाण ज्ञान – प्रमाणित ज्ञान, पूर्ण ज्ञान।
नयज्ञान – एकदेश ज्ञान, अपूर्ण-ज्ञान, एक पक्ष को ध्यान में रखकर किया गया ज्ञान।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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