■ संसार के सब जीवों (मनुष्य, पशु, पेड़ पौधे) को unconditional क्षमा,
सब से unconditional क्षमा ।
■ “श्री” भगवान के नाम से पहले 1008 बार,
गुरु के 108 बार, शत्रु के 4,
मित्र 3, सेवक 2,
पत्नी/पुत्र 1
पं.जगमोहन लाल शास्त्री (मुनि श्री प्रमाण सागर जी)
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4 Responses
यह कथन सत्य है कि संसार के सब जीवों यानी मनुष्य, पशु, पेड़ पौधे को unconditional क्षमा और सबसे Unconditional क्षमा।
उत्तम क्षमा मोक्षमार्ग के पथिक, सन्तों को यथार्थ तथा सहायता करने वाली होती है। उत्तम क्षमा सहजता एवं वीतरागता का परिणाम है लेकिन पर व्यक्ति के चित्त को उत्कृष्ट सरल स्थिति से अभिभूत होती हैं और ऐसी सहज वृत्ति युक्त स्वयं के कल्याण के अतिरिक्त लौकिक कल्याण हेतु बनता है।
मित्र से ज़्यादा “श्री” दुश्मन को लगाने कहा, इतनी इज्ज़त लेने वाला नाराज़ रह सकता है !
छोटों को भी “श्री” से सम्बोधित करने को कहा गया है, तो क्षमा भाव तो बना रहेगा न !
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यह कथन सत्य है कि संसार के सब जीवों यानी मनुष्य, पशु, पेड़ पौधे को unconditional क्षमा और सबसे Unconditional क्षमा।
उत्तम क्षमा मोक्षमार्ग के पथिक, सन्तों को यथार्थ तथा सहायता करने वाली होती है। उत्तम क्षमा सहजता एवं वीतरागता का परिणाम है लेकिन पर व्यक्ति के चित्त को उत्कृष्ट सरल स्थिति से अभिभूत होती हैं और ऐसी सहज वृत्ति युक्त स्वयं के कल्याण के अतिरिक्त लौकिक कल्याण हेतु बनता है।
Can meaning of the 2nd para be explained, please?
मित्र से ज़्यादा “श्री” दुश्मन को लगाने कहा, इतनी इज्ज़त लेने वाला नाराज़ रह सकता है !
छोटों को भी “श्री” से सम्बोधित करने को कहा गया है, तो क्षमा भाव तो बना रहेगा न !
Okay.