भीष्म की शय्या के तीर मोह के थे ।
वरना तीरों को निकाल कर न फेंक देते !
चिंतन
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भीष्म पितामह जीवन में बहुत योग्य रहे हैं जिन्होंने कौरवों और पाण्डवों को शिक्षा दी गई थी लेकिन ध्रतराष्ट के मोह के तीरौ के कारण वेदना सहना पड़ी थी।
अतः यह कथन सत्य है कि भीष्म पितामह की शय्या पर मोह के तीर थे, यदि मोह नहीं होता तो तीर निकाल सकते थे।
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भीष्म पितामह जीवन में बहुत योग्य रहे हैं जिन्होंने कौरवों और पाण्डवों को शिक्षा दी गई थी लेकिन ध्रतराष्ट के मोह के तीरौ के कारण वेदना सहना पड़ी थी।
अतः यह कथन सत्य है कि भीष्म पितामह की शय्या पर मोह के तीर थे, यदि मोह नहीं होता तो तीर निकाल सकते थे।