घ्रणा
कुबड़े से घ्रणा करने में बहुत दोष है, क्योंकि उसके शरीर से घ्रणा की जा रही है ।
हत्यारे से घ्रणा करने में कम दोष है, क्योंकि उसके कुकृत्य से की जा रही है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
कुबड़े से घ्रणा करने में बहुत दोष है, क्योंकि उसके शरीर से घ्रणा की जा रही है ।
हत्यारे से घ्रणा करने में कम दोष है, क्योंकि उसके कुकृत्य से की जा रही है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
घ़णा करना जैन धर्म में बहुत दोष माना गया है अतः शरीर से घ़णा करने में अधिक दोष है जबकि हत्यारे से घ़णा करने में कम दोष है, क्योंकि उसके कुकृत्य से की जाती है।
अतः यह कहा गया है कि पापी से घ़णा नहीं करना चाहिए बल्कि पाप से घ़णा करना चाहिए।