चीन में नाक चपटी, अब Improve हो रही है ।
कर्मोदय के वातावरण में बदलाव करके, कर्म अपना फल…
द्रव्य, क्षेत्र, काल और भावानुसार देते हैं ।
(गर्म देशों में काले, पर कोई बचपन से ही AC में रहे तो रंग कम काला हो जायेगा )
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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कर्म- -जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है वह सब उसका क़िया या कर्म है।जीव परतंत्र होता है और संसार में भटकता है। कर्म तीन प्रकार के होते हैं द़व्य,भाव और नो कर्म। अतः उक्त परिभाषा से सिद्व होता है कि कर्म अपना फल द़व्य,क्षेत्र,काल और भावनुसार अवश्य देते हैं। जीवन में कर्म सिद्धांत पर विश्वास करना आवश्यक है ताकि जीवन सार्थक हो सकता है।
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कर्म- -जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है वह सब उसका क़िया या कर्म है।जीव परतंत्र होता है और संसार में भटकता है। कर्म तीन प्रकार के होते हैं द़व्य,भाव और नो कर्म। अतः उक्त परिभाषा से सिद्व होता है कि कर्म अपना फल द़व्य,क्षेत्र,काल और भावनुसार अवश्य देते हैं। जीवन में कर्म सिद्धांत पर विश्वास करना आवश्यक है ताकि जीवन सार्थक हो सकता है।