उतावली

वैरागी कभी उतावली नहीं करता।
मोक्ष जाने को “धावत” नहीं,
“गच्छति” कहा है।
मोक्ष में वैरागी भाव नहीं।
वैरागी का आनंद तो पकते आम जैसा होता है।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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4 Responses

  1. आचार्य श्री विधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि वैरागी कभी उतावली नहीं करता है! मोक्ष में वैरागी भाव नहीं, बल्कि वैरागी का आनंद पकते आम जैसा होता है! अतः जीवन में किसी क्षेत्र में उतावली नहीं होना चाहिए बल्कि धैर्य पूर्वक आगे बढना उचित होगा!

  2. “धावत” ,“गच्छति” ka meaning clarify karenge,
    please ?
    ‘मोक्ष में वैरागी भाव नहीं।वैरागी का आनंद तो पकते आम जैसा होता है’ ko bhi aur elaborate karen ?

    1. धावत = दौड़ना
      गच्छत्ति = चलना
      2) वैरागी भाव से मोक्ष मिलता है। साध्य मिलने पर साधन का काम समाप्त।

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