क्षेत्र का महत्व
सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्र आर्यखंड में ही हो सकता है, म्लेच्छखंड में नहीं।
यदि हमने रत्नत्रय की उपेक्षा की तो अगले भव में म्लेच्छखंड ही मिलेगा।
मुनि श्री नियमसागर जी
सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्र आर्यखंड में ही हो सकता है, म्लेच्छखंड में नहीं।
यदि हमने रत्नत्रय की उपेक्षा की तो अगले भव में म्लेच्छखंड ही मिलेगा।
मुनि श्री नियमसागर जी